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Thursday, April 28, 2011
गांव की छोरी
Courtesy: Antarvasna
मैं राजवीर एक बार फिर से हाजिर हूँ आपको मस्त करके लिए।
बात तब की है जब मैं अपने दोस्त की शादी में उत्तर प्रदेश गया था, गाँव ही था एक तरह से वो।मेरे दोस्त के बगल वाले घर में एक लड़की रहती थी, उसका नाम कविता था, 18 साल की उम्र होगी, छोटे-छोटे चूचे, मस्त गांड और गोरा बदन !
जब से मैं गया था वो मुझे देखती रहती थी। दो दिन से ऐसा ही होता रहा। तीसरे दिन मैंने उसको इशारा कर दिया। शाम का अन्धेरा छाने लगा था, सब लोग काम में लगे हुए थे, मैंने उसे छत पर आने का इशारा किया।
वो आ गई।
वो आई तो मैंने पूछा- तुम मुझे देखती क्यों रहती हो?
उसने कहा- तुम मुझे अच्छे लगते हो !
मैंने भी कहा- मैं भी तुझे पसंद करता हूँ।
मैंने तभी एकदम से उसे पकड़ कर चूम लिया। उसने भी जवाब में मुझे चूमा और नीचे भाग गई।
शादी से एक दिन पहले की बात है, रात के दस बज चुके थे, सब सो गए थे, मैं और मेरा दोस्त जगह न होने के कारण छत पर सोने चले गए।
छत पर भी लोग सोए थे, छत भरी हुई थी। दोस्त को तो जगह मिल गई, मुझे जगह नहीं मिली तो बगल वाली छत से आवाज आई- जगह नहीं है तो हमारी छत पर आ जाओ।
वो आवाज कविता के पापा की थी।
तो मैं बिस्तर लेकर उनकी छत पर चला गया, एक जगह बिस्तर डाल कर सो गया।
कुछ देर मैं हल्की सी नींद में था, तभी मुझे लगा कि मेरे बगल में कोई है जिसका पैर मेरे पैर से लग रहा था।
मैंने देखा तो वो और कोई नहीं कविता थी। वो नींद में थी। मैंने भी मौके का फायदा उठा कर उसकी चूची पर हाथ रख दिया। उसने सलवार-कमीज पहना हुआ था। मैंने उसके कमीज़ में हाथ डाल दिया उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
मैं उसकी चूची दबाने लगा और थोड़ी देर बाद मैंने उसका नाड़ा खोल दिया। उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी।
मैं चूत पर हाथ फेरने लगा।
उसके मुँह से आवाज निकलने लगी तो मैं समझ गया कि वो जाग रही है और सोने का नाटक कर रही है।
मैंने धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो चिंहुक गई। मैं उस समय कच्छा-बनियान पहने था। उसने मेरा कच्छा खोल दिया और मेरा लंड निकाल कर जो उस समय पूरे उत्थान पर था, उसे पकड़ कर हिलाने लगी।
मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, फिर दो उंगलियाँ अन्दर डाल दी। कोई देख न ले इसलिए मैंने ऊपर से चादर ले ली थी।
अब वो मेरे पैर की तरफ सर करके लेट गई और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा, मतलब हम अब 69 तरीके में थे।
कुछ देर बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया और मैंने अपना !
फिर वो सीधी हो गई और मैं अब उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। हमें सारा काम सावधानी से करना था। अब वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गई, मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत पर रखा और धीरे से धक्का दिया।
मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत के अंदर चला गया। मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख लिया कि उसकी आवाज न निकल जाए। फिर मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके बाद मैंने अपना काम चालू किया, आराम-आराम से धक्के लगाने लगा। खतरे का काम था, सावधानी हटी दुर्घटना घटी !
चोदते-चोदते मैं उसकी चूची दबा रहा था। बीस मिनट बाद मैंने उसकी चूत में ही अपना पानी निकाल दिया।
फिर हम आराम से लेट गए। उसने अपने कपड़े ठीक किये, सलवार पहनी। मैंने भी अपने कपड़े पहने। आखिरी में वो मुझे एक लम्बा सा चुम्बन देकर मेरे से थोड़ा दूर होकर सो गई। मैं भी सो गया।
सुबह उठ कर देखा तो वो चली गई थी।
हम भी सुबह उठ कर नहा-धोकर शादी की तयारी में लग गए। बारात चली गई। बारात में मस्ती की, दोस्त की सालियों से खूब मजे लिए। बारात वापिस आ गई।
सभी औरतें दुल्हन देखने आई, वो भी अपनी मम्मी के साथ आई। सब औरते दुल्हन के साथ थी तो मैंने उसे यानि कविता को अपने पास आने का इशारा किया। वो मेरे पास आई, मैंने उसे खेत की तरफ शाम को आने को कहा।
वो मान गई।
शाम हो गई, मैं खेत की तरफ गया, वो भी मुझे देखकर छुपती-छुपाती आ रही थी। खेत से आगे जाकर एक आम का बाग़ था तो हम उसमें चले गए। हम ऐसी जगह गए जहाँ कोई हमें बिना अंदर आये देख न सके।
जाते ही मैंने उसको कस कर पकड़ लिया और उसको होंठों को अपने होंठों में दबा लिया। पाँच मिनट चूमने के बाद मैंने उसे कहा- मैं तुझे आज पूरा नंगा करके चोदूँगा। उस रात तो अँधेरे में कुछ देख नहीं पाया, आज जी भर के देखूंगा भी और चोदूंगा भी !
वो शरमा कर पीछे घूम गई। मैंने अपना लंड उसकी गांड की दरार में रख दिया उसे अपने शरीर से चिपका कर उसके चूचे दबाने लगा। मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए और उसके भी सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। वो घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी। 15 मिनट में मैंने अपना पानी उसके मुँह में त्याग दिया।
अब मैंने घुटनों के बल बैठ कर उसकी एक टांग अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत चाटने लगा। इसी बीच में मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी। वो पाँच मिनट में ही पानी छोड़ने लगी। फिर वो पेड़ का सहारा लेकर घोड़ी बन गई और मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया।
उसकी चूत मारते मारते मैंने उससे कहा- मुझे तेरी गांड भी मारनी है।
वो मना करने लगी। मैं जिद करने लगा लेकिन वो मानी नहीं।
मैंने भी दिमाग लगाया कि ऐसे तो ये गांड देगी नहीं।
मैंने एकदम से उसकी चूत से अपना लंड निकाला और गांड की छेद पर बिना देर किये एक जोरदार झटका दिया। वो इतनी तेज चिल्लाई कि उसकी आवाज पूरे बाग़ में गूंज गई, वो रोने लगी और बैठ गई।
मैंने उसे समझाया कि थोड़ी देर दर्द रहेगा फिर ठीक हो जायेगा।
मैं उसकी चूची सहलाने लगा, कभी उसकी जांघें सहलाता। उसका दर्द जब कम हुआ तो मैंने एक और झटका दिया और पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया। वो अपनी आँखों से गंगा-जमुना बहाने लगी। उसकी गांड फट गई थी। उसकी गांड से खून निकल रहा था, मुझे भी दर्द हो रहा था शायद जबरदस्ती डालने से।
फिर उसका दर्द कम हुआ तो मैंने अपना काम चालू किया। करीब दस मिनट और चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही झर गया। वो भी साथ में झर गई।
मैंने अपना रुमाल निकला और उसका खून साफ़ किया अपना लंड साफ़ किया। फिर दोनों ने कपडे पहने। उससे उठा भी नहीं जा रहा था, ठीक से चल नहीं पा रही थी।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
वो कहने लगी- तुम बहुत गंदे हो ! मैंने मना किया फिर भी पीछे डाल दिया।
मैंने कहा- कल मैं जा रहा हूँ इसलिए बाद में मौका मिले न मिले।
वो मेरे जाने की खबर सुन कर रोने लगी। मैंने उसे दिलासा दिया और जाते जाते उसे एक मजेदार चुम्मा दिया।
उसने कहा कि वो मुझे कभी नहीं भूलेगी। मैंने भी कहा कि मैं भी उसे कभी नहीं भूलूंगा।
फिर हम घर चले गए। सुबह मैं और मेरे दो और दोस्त जाने लगे। मैंने पीछे मुड़ कर देखा वो भी मुझे देख रही थी, उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने एक ही बार उसकी तरफ देखा और फिर दूसरी बार उसकी तरफ देख नहीं पाया, नहीं तो मेरी आँखों में भी आँसू आ जाते।
अभी भी वो मुझे याद आती है। और शायद मैं भी उसे याद आता होऊंगा।
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